Bajrang ban meaning in hindi बजरंग बाण हिंदी अर्थ सहित – बजरंग बाण का पाठ भगवान हनुमान का सबसे शक्तिशाली पाठ है जो भक्तों के सारे कष्टों का अंत करने में सक्षम है। जो नित्य इसका पाठ करता है उसे सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति अवश्य होती है। हनुमान जी अपने सभी भक्तों से बहुत प्यार करते हैं और यही कारण है वो जब भी अपने किसी भी भक्त को कष्ट में देखते हैं, तो तुरंत उसकी पुकार पर चले आते है
Bajrang ban meaning in hindi बजरंग बाण हिंदी अर्थ सहित – बजरंग बाण का पाठ करते समय कुछ सावधानियों का पालन करना चाहिए ताकि आपका पाठ प्रभावशाली हो सके। यहां कुछ स्थितियाँ और समय दिए गए हैं जब आपको बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए –
रात्रि में – बजरंग बाण का पाठ रात के समय नहीं किया जाता है, क्योंकि यह मान्यता है कि रात्रि को यह पाठ उग्र शक्तियों को प्राप्त कर सकता है और नींद को प्रभावित कर सकता है।
अशुद्ध स्थान – इसका पाठ किसी अशुद्ध स्थान, जैसे कि शौचालय या स्नान के बिना नहीं किया जाना चाहिए।
(दोहा)
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
अर्थ : जो कोई भी राम भक्त हनुमान जी के सामने दृढ़ संकल्प लेकर पूरे श्रद्धा और विश्वास और प्रेम से उनसे प्रार्थना करता है हनुमान जी उनके सभी कार्यों को सिद्ध करते हैं।
(चौपाई)
जय हनुमन्त सन्त-हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजे। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।
अर्थ : हे संतों के कल्याण करने वाले हनुमानजी महाराज आपकी जय हो, हे प्रभु हमारी प्रार्थना सुन लीजिए। हे वीर हनुमान अब भक्तों के कार्यों में देरी न करें और जल्दी से आकर उन्हें सुख प्रदान करें।
जैसे कूदि सिन्धु बहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।
बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।
अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जै जै धुनि सुर पुर में भई।।
अर्थ : हे हनुमान जी जैसे आपने कूद कर सागर को पार कर लिया था, सुरसा जैसी राक्षसी ने अपने विशालकाय शरीर से आपको लंका जाने से रोकने की कोशिश की थी, लेकिन उसके लाख कोशिश के बाद आपने उसे लात मारकर देवलोक पहुंचा दिया था। जिस प्रकार लंका जाकर आपने विभीषण को सुख दिया, माता सीता को ढूंढकर परम पद की प्राप्ति की। आपने रावण की लंका के बाग उजाड़कर रावण के भेजे हुए सैनिकों के यमदूत बन गए। जितनी तेजी से आपने अक्षय कुमार को मार गिराया, जिस प्रकार आपने अपनी पूंछ से लंका के महल को लाख के महल की तरह जला दिया जिससे आपकी जय जयकार स्वर्ग में होने लगी
अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दःुख करहु निपाता।।
जै गिरधर जै जै सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।।
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारु बज्र सम कीलै।।
गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ। महाराज निज दास उबारों।।
सुनि हंकार हुंकार दै धावो। बज्र गदा हनि विलंब न लावो।।
अर्थ : हे भगवान! अपनी गदा से शत्रुओं पर वज्र की भाँति प्रहार करके अपने सेवक को तनावमुक्त करें। ॐ की घोर ध्वनि कहते हुए शत्रुओं को ललकारें और उन्हें अपनी गदा से कुचल डालें।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि-उर शीसा।।
सत्य होहु हरि सत्य पाय कै। राम दूत धरु मारु धाई कै।।
अर्थ : हे हनुमान, वानरों के स्वामी, मैं आपको तांत्रिक मंत्र ओम ह्रीं ह्रीं ह्रीं और ओम हुं हुं हुं के साथ आह्वान करता हूं। शत्रु की छाती और सिर पर वार करें। मैं हरि की शपथ खाकर कहता हूँ कि जो कुछ मैं कहता हूँ वह सत्य है। हे श्रीराम के दूत, तुरंत शत्रु पर आक्रमण करने के लिए दौड़ो।
जै हनुमंत अनन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत है दास तुम्हारा।।
अर्थ : आपकी जय हो, हे अथाह हनुमान! आपके भक्त को किस अपराध के कारण इतना कष्ट उठाना पड़ रहा है? आपका यह सेवक पूजा-पाठ, पवित्र मंत्रों, तपस्या या अनुष्ठानों और सत्कर्मों के अनुशासन के बारे में कुछ भी नहीं जानता है
वन उपवन जल-थल गृह माही। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पॉय परौं पर जोरि मनावौं। अपने काज लागि गुण गावौं।।
अर्थ : आपकी जय हो, हे अथाह हनुमान! आपके भक्त को किस अपराध के कारण इतना कष्ट उठाना पड़ रहा है? आपका यह सेवक पूजा-पाठ, पवित्र मंत्रों, तपस्या या अनुष्ठानों और सत्कर्मों के अनुशासन के बारे में कुछ भी नहीं जानता है
जै अंजनी कुमार बलवंता। शंकर स्वयं वीर हनुमंता।।
बदन कराल दनुज कुल घालक। भूत पिशाच प्रेत उर शालक।।
अर्थ :जय हनुमान! अंजनी के सर्वशक्तिमान पुत्र और आप स्वयं शंकर के अवतार हैं। आपके पास एक भयंकर और भयानक शरीर है और आप यम (मृत्यु के देवता) के एजेंटों को भी मारने वाले हैं। आप सदैव श्री राम के पक्ष में रहते हैं और सभी के हितैषी हैं।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल वीर मारी मर।।
इन्हहिं मारु, तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मर्याद नाम की।।
अर्थ :सभी बुरी आत्माओं को मार डालो: भूत, प्रेत, शैतान, आग, पिशाच, आपदाएँ और महामारी। श्री राम के नाम पर उन सभी को मार डालो जिससे पवित्र नाम की पवित्रता और सच्चाई बनी रहे।
जनक सुता पति दास कहाओ। ताकि शपथ विलंब न लाओ।।
जय जय जय ध्वनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।
अर्थ : आप श्री राम और माता सीता के सेवक हैं। मैं आपसे उनका नाम लेकर विनती करता हूं – देर न करें। आपकी महिमा की ध्वनि से आकाश गूँज रहा है, जिसके स्मरण मात्र से सारे दुःख दूर हो जाते हैं।
शरण शरण परि जोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौ।।
उठु उठु चल तोहि राम दोहाई। पॉय परों कर जोरि मनाई।।
अर्थ : मैं आपके चरणों की शरण लेने आया हूं। मैं तुमसे विनती करता हूँ; इस तत्काल आवश्यकता के समय में मैं सहायता के लिए और किसे बुलाऊं? उठो, उठो, साथ आओ! मैं आपसे हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं कि आप कार्रवाई में जुट जाएं।
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता।।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल दल।।
अर्थ : मैं ओम चं चं चं चं और ओम हनु हनु हनु हनु के आह्वान के साथ हे फुर्तीले हनुमान से प्रार्थना करता हूं। बिजली की तरह तेज़ी से वार करो! हे हनुमान, आप तीव्रगामी हैं। जब-जब वानर गरजते हैं, दुष्टों की भीड़ भयभीत होकर भाग जाती है।
अर्थ : हे हनुमान!! यदि आप हुँकार भी कर देते हैं तो राक्षसों की सेना भयभीत हो उठती है।
अपने जन को तुरत उबारौ।
सुमिरत होय आनन्द हमारौ॥
अर्थ : हे वीर हनुमान!! अपने भक्तों का उद्धार कीजिए। आपका स्मरण करने से ही हमे आनंद की प्राप्ति होती है।
यह बजरंग बाण जेहि मारै।
ताहि कहो फिर कौन उबारै॥
अर्थ : इस बजरंग बाण का पाठ करने से भी किसी का उद्धार ना हो तो आप ही बताएं उसका उद्धार भला कौन कर सकता है!!
पाठ करैं बजरंग बाण की।
हनुमत रक्षा करैं प्राण की॥
अर्थ : जो भक्तगण इस बजरंग बाण का पाठ करता है, उसके प्राणों की रक्षा स्वयं हनुमान करने आते हैं।
यह बजरंग बाण जो जापै।
ताते भूत प्रेत सब कांपै॥
अर्थ : जो भी इस बजरंग बाण का निरंतर जाप करता है तो उसे सभी तरह के भूत-प्रेत या बुरी आत्माओं के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
धूप देय अरु जपै हमेशा।
ताके तन नहिं रहै कलेशा॥
अर्थ : जो भी भक्तगण सच्चे मन से व संपूर्ण विधि का पालन कर इस बजरंग बाण का पाठ करता है तो उसके शरीर को किसी तरह का भी कष्ट नही होता है।
।। दोहा ।।
प्रेम प्रतीतहि कपि भजै,
सदा धरैं उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करैं हनुमान॥
अर्थ : जो भी भक्तगण प्रेमपूर्वक आपके भजन करता है, जिसके हृदय में सदा आप निवास करते हैं तो उसके सभी कार्य वीर हनुमान पूर्ण करते हैं और उसका उद्धार करते हैं।
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