Lohe ka Challa हाथों की उंगली में लोहे का छल्ला पहनना – जीवन में मुसीबत आती है तो हर व्यक्ति ईश्वर को याद करने लगता है। हिंदू धर्म में कुंडली और भाग्य को बहुत महत्व दिया गया है। कुंडली और भाग्य दोनों ही ग्रहों की दशा और चाल पर निर्भर करते हैं। यदि ग्रह सही दिशा और दशा में है तो व्यक्ति का भाग्य हमेशा उसका साथ देगा वहीं अगर भाग्य साथ नहीं दे रहा है तो समझ जाएं कोई न कोई ग्रह कमजोर पड़ गया है।
Lohe ka Challa हाथों की उंगली में लोहे का छल्ला पहनना
लोहे का छल्ला किस उंगली में पहनें?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर कुंडली में शनि और राहू-केतु से जुड़े बुरे योग बन रहे हैं तो हाथ की मध्यमा उंगली में लोहे की अंगूठी पहनना चाहिए. मध्यमा उंगली और उसके नीचे का क्षेत्र शनि ग्रह कंट्रोल करता है इसलिए इसे मध्यमा उंगली में ही पहना जाता है.
पहला नियम है कि छल्ला बिना जोड़ का हो।
दूसरा नियम सबसे बेहतर छल्ला काले रंग के घोड़े की नाल से बना अथवा किसी पुरानी किश्ती (बोट) की कील से बना श्रेष्ठ माना गया है।
तीसरा छल्ला किसी शनिवार को प्रात: शनि की होरा (सूर्य उदय के बाद दो घंटे के भीतर) पहनना फलदाई होता है।
चौथा नियम इसे दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में ही पहनना चाहिए।
पांचवा इसे पहनने के पश्चात मछली का सेवन कदापि न करें।झूठ बिल्कुल त्याग दें
शनि स्त्रोत्र का जाप करें और शनिवार को शनिदेव का मंत्र ॐ शम शनै चराए नम: मंत्र का मन में।लगातार जाप करें I
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