Baba kaal bhairav काशी के लिए इतने क्यों जरूरी हैं काल भैरव कोतवाल – काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव का भी महत्व उतना ही खास और अहम है। काशी में एक बहुत ही पुरानी कहावत है कि ”पहले ‘काशी कोतवाल’ की पूजा फिर काम दूजा…”। जी हां, धार्मिक मान्यता है कि इस शहर में कोई भी शुभ काम करने से पहले ‘काशी कोतवाल’ यानी बाबा काल भैरव की पूजा की जाती है। इसलिए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 13 दिसंबर 2021 को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण से पहले काल भैरव की पूजा करने पहुंचे थे। कहा जाता है कि काशी नगरी में काल भैरव की मर्जी चलती है। भगवान शिव की पूजा करने से भी पहले इनको यहां पूजा जाता है
Baba kaal bhairav काशी के लिए इतने क्यों जरूरी हैं काल भैरव कोतवाल
भगवान शिव के पूजा के पहले काल भरैव की पूजा होगी. जो भक्त काल भैरव के दर्शन किए बिना महाकाल का दर्शन करते हैं उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. इसलिए यदि आप कभी भी महाकाल का दर्शन करने जाते हैं तो उसके पहले महाकाल का दर्शन अवश्य करें.
भैरव की सवारी कुत्ता है। चमेली का फूल उन्हें बहुत पसंद है। भैरव को रात्रि का देवता माना जाता है और उनकी पूजा मध्य रात्रि में की जाती है। काल भैरव के दर्शन मात्र से भक्त के सारे पाप नष्ट हो जाते है और उनकी सारी मनोकामनायें पूर्ण हो जाती हैं। काल भैरव को उज्जैन नगरी का सेनापति माना जाता है। बाबा काल भैरव महाकाल की नगरी का देख रेख करते हैं। काल भैरव शत्रुओं का नाश एवं भक्तो की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
उज्जैन महाकाल के बारे में एक खास बात और है, भस्म आरती का एक नियम यह भी है कि इसे महिलाएं नहीं देख सकती हैं इसलिए आरती के दौरान कुछ समय के लिए महिलाओं को घूंघट करना पड़ता है।
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