Ganesh ji magical tample जहां दर्शन और पूजा पाठ करके आप अपने नए साल को खास बना सकते हैं – अगर आप भी अपने नए साल की शुरुआत मंदिर में करना चाह रहे हैं तो आज हम आपको भगवान गणेश के 5 प्रमुख और प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताएंगे
Ganesh ji magical tample जहां दर्शन और पूजा पाठ करके आप अपने नए साल को खास बना सकते हैं
गोबर गणेश मंदिर
महेश्वर में गोबर गणेश मंदिर भी मौजूद है. मंदिर में विराजित गणेश जी की प्रतिमा गोबर से निर्मित है. यह मंदिर लगभग 900 साल पुराना बताया जाता है. 250 साल पहले अहिल्या बाई होलकर ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. माना जाता है की गोबर में मां लक्ष्मी का वास होता है. इसलिए यहां धन की कामना लिए दूर दूर से भक्त दर्शन के लिए आते है.
चिंतामणि – पुणे
चिंतामणि, जिन्हें अष्टविनायकों के पांचवें गणेश के रूप में जाना जाता है, पुणे जिले के थेऊर में स्थित हैं। भगवान गणेश के मंदिर का निर्माण धरणीधर महाराज देव ने करवाया था। 100 साल बाद पेशवाओं ने वहां एक भव्य और आकर्षक मंदिर और सभागृह बनवाया। यह मंदिर पूरी तरह से लकड़ी से बना हुआ है।
श्री सिद्धिविनायक मंदिर, द्वारका
श्री सिद्धिविनायक मंदिर या श्री सिद्धिविनायक मंदिर दिल्ली में द्वारका सेक्टर 12 मेट्रो स्टेशन के निकट स्थित है। यहां, आप भगवान गणेश की उनके पसंदीदा पालतू जानवर और मिठाई, एक चूहे और लड्डू के साथ एक विशाल खड़ी मूर्ति देख सकते हैं । मंदिर की भव्यता देखने के लिए गणेश चतुर्थी के दिन इस मंदिर में जाएँ।
खजराना गणेश
मंदिर का निर्माण रानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। यह मंदिर भारत के प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। ज्यादातर बुधवार एवं रविवार को विशाल संख्या मे लोग दर्शन करने के लिए इस मंदिर में आते हैं। एक स्थानीय मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर का मुख्य त्योहार विनायक चतुर्थी है और इसे अगस्त और सितंबर के महीने में भव्य तरीके से आयोजित किया जाता है
बड़ा गणेश मंदिर
यह मंदिर वाराणसी के लोहटिया में स्थित है। यहां गणेशजी की स्वयंभू प्रतिमा है और यहां बंद कपाट में भगवान की खास पूजा होती है। इसे देखने की किसी को अनुमति नहीं होती है। मंदिर का इतिहास दो हजार साल पुराना बताया जाता है। खास बात ये है कि ये मंदिर 40 खंभों पर टिका है और मंदिर में 40 खंभे होना बहुत ही शुभ माना जाता है। मीनाकारी और पत्थरों को तराश कर इस मंदिर को बनाया गया है। यहां गणपति जी चांदी के छत्र के नीचे विराजमान हैं। मान्यता है की एक जमाने में बाबा विश्वनाथ के करीब से होते हुए गंगा प्रवाहित होती थी। ढुंढीराज गणेश जो विश्वनाथ द्वार पर हैं और उनके स्वरुप की भी यहां पूजा होती है।
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