Uric Acid Problem संतुलित खान-पान और बेहतर लाफइस्टाइल से यूरिक एसिड को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. – शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने पर प्रोटीन युक्त चीजों को खाने के लिए मना कर दिया जाता है. जैसे ही पता चलता है कि यूरिक एसिड बढ़ गया है तो आपको कई चीजों को ना खाने की सलाह दी जाती है जिसमें पालक, टमाटर, बीज युक्ट चीजें और दाल, कुल मिलाकर वो सभी चीजें जिनमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है. ऐसे में आपके मन में भी सवाल आया होगा कि क्या सभी दालों को खाना बंद कर देना चाहिए
Uric Acid Problem संतुलित खान-पान और बेहतर लाफइस्टाइल से यूरिक एसिड को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. – वास्तव में प्यूरिन की वजह से ही शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ती है। हाई यूरिक एसिड वाले लोगों को ऐसी चीजों से दूर रहने की सलाह दी जाती है जिनमें प्यूरिन की मात्रा अधिक होती है। ऐसी चीजों का सेवन कम करके आप गाउट अटैक से बच सकते हैं।
- हाई यूरिक एसिड वाले रोगी के लिए मसूर की दाल का सेवन सुरक्षित है. बस दाल को कम से कम 6-7 घंटे के लिए भिगोना जरूरी है.
- यूरिक एसिड ज्यादा होने पर भी आप तुअर दाल का सेवन कर सकते हैं. इसे भी कम से कम 6-7 घंटे के लिए भिगोना जरूरी है.यह प्रोटीन और डायटरी फाइबर से भरपूर होती है. इसमें साइज का ध्यान रखें.
- हाई यूरिक एसिड वाले रोगी उड़द की दाल खाने से बचें. काले चने का सेवन कर सकते हैं. अन्य दालों की तरह उड़द की दाल भी प्रोटीन और आहार फाइबर से भरपूर होती है.
- उच्च यूरिक एसिड वाले रोगी चना दाल और छोले कम मात्रा में खा सकते हैं. आप संतुलित आहार के हिस्से के रूप में एक दिन में 40-50 ग्राम चना दाल और छोले खा सकते हैं, अन्य दालों की तरह दाल को 5-6 घंटे के लिए भिगो दें. अच्छी तरह धो लें और फिर अच्छी तरह पका लें.
- यूरिक एसिड बढ़ने पर दालों का सेवन करना बिल्कुल सुरक्षित है। हालांकि आपको दालों में मौजूद प्रोटीन की मात्रा का ध्यान रखना जरूरी है। यूरीक एसिड बढ़ने पर चना दाल, अरहर दाल और मूंग की दाल का सेवन करने की मनाही होती है। इन दालों में प्रोटीन की मात्रा बहुत ज्यादा पाई जाती है, इसलिए इसका सेवन यूरीक एसिड बढ़ने पर नहीं करना चाहिए।
- दालों में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। मूंग के अलावा यूरिक एसिड के पेशेंट अपने भोजन में अरहर की दाल शामिल कर सकते हैं
दाल पकाते वक्त जरूर बरतें ये सावधानियां
दाल ढंककर ना पकाएं। ढककर बनाने से दाल पकाते समय कुछ सफेद रंग की झाग निकलती है जो दाल में घुलकर यूरिक ऐसिड को बढ़ा देते हैं। परिणामस्वरूप अनेकों प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं।
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