Sharmila tagore bikni update फिल्म पर इस कदर बवाल मच गया था कि मामला संसद तक जा पहुंचा था और एक्ट्रेस पर सवाल उठने लगे थे – साठ और सत्तर के दशक में एक्टिंग के धमाल मचाने वालीं शर्मिला टैगोर ने हाल ही उस वक्त को याद किया जब 56 साल पहले उन्हें सास के डर से अपनी एक फिल्म का पोस्टर रातोंरात हटवाना पड़ा था। उस फिल्म पर इस कदर बवाल मच गया था कि मामला संसद तक जा पहुंचा था और एक्ट्रेस पर सवाल उठने लगे थे। यह फिल्म थी ‘एन इवनिंग इन पेरिस’, जिसमें शर्मिला ने बिकिनी पहनी थी।
Sharmila tagore bikni update फिल्म पर इस कदर बवाल मच गया था कि मामला संसद तक जा पहुंचा था और एक्ट्रेस पर सवाल उठने लगे थे – शर्मिला टैगोर ने फिल्म ‘एन इवनिंग इन पेरिस’ के पोस्टर अपनी सास के डर से रातों रात उतरवा लिए थे। दरअसल, इन बिकिनी सीन्स को लेकर पहले ही काफी हंगामा मचा हुआ था और इसी बीच शर्मिला की सास मुंबई आ रही थीं। आनन-फानन में शर्मिला ने अपने घर के पास की सड़क पर लगे अपनी फिल्म के पोस्टर हटवा दिए थे। हालांकि उस वक्त उनके दिमाग में यह बात नहीं आई कि फिल्म के पोस्टर तो मुंबई की हर सड़क पर लगे हैं और एयरपोर्ट से घर के रास्ते में कहीं न कहीं तो उनकी सास को ये पोस्टर नजर आ ही जाएंगे।
बॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस और सैफ अली खान की मां शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore) इंडस्ट्री की उन चुनिंदा एक्ट्रेसेस में से एक थीं, जिन्होंने 60-70 के दशक में बड़े पर्दे पर बोल्ड सीन फिल्माए. हाल ही में शर्मिला टैगोर ने एक इंटरव्यू में 1967 की अपनी फिल्म ‘एन इवनिंग इन पेरिस’ (An Evening in Paris) में फिल्माए गए बिकिनी सीन को लेकर कई दिलचस्प बातें बताई. बहुत कम लोगों को पता है कि शर्मिला की बिकिनी को लेकर देश की पार्लियामेंट यानी संसद में भी सवाल उठे थे. एक्ट्रेस ने बताया कि उनके बिकिनी पहनने के लेकर इंडस्ट्री समेत भारत की जनता भी काफी हैरान थी. उस समय संसद में भी इसके बारे में सवाल पूछे गए थे.
संसद में उठे थे सवाल
उसी समय का एक किस्सा सुनाते हुए शर्मिला ने बताया कि एक रात उन्होंने अपने ड्राइवर को घर के पास लगे फिल्म का एक पोस्टर हटाने के लिए कहा क्योंकि उनकी सास ‘शहर आ रही थीं’. फिल्म की रिलीज के बाद शर्मिला ने कहा कि उन्हें एहसास हुआ कि ‘एक ग्लैमरस इमेज बहुत अच्छी होती है’, लेकिन अगर उन्हें गंभीरता से लिया जाना है, तो उन्हें इससे कहीं ज्यादा ग्लैमरस होना होगा. उन्होंने कहा कि आराधना (1969) उस समय आई थी, और तभी से, उन्होंने ‘जानबूझकर अपनी स्क्रिप्ट’ चुननी शुरू कर दी.
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